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satyanarayan sharma – Chhattisgarh Tehelka https://cgtehelka.in News jo tahelka Macha de Wed, 12 Dec 2018 06:30:07 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 सत्यनारायण, रविन्द्र एवं अकबर में से कोई बन सकता है विधानसभा अध्यक्ष https://cgtehelka.in/2018/12/12/%e0%a4%b8%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a3-%e0%a4%b0%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a8%e0%a5%8d%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%b0-%e0%a4%8f%e0%a4%b5%e0%a4%82/ Wed, 12 Dec 2018 06:30:07 +0000 https://chhattisgarhtimes.in/?p=4554 अनिरुद्ध दुबे
रायपुर। छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन होने के साथ ही मुख्यमंत्री के अलावा कौन होगा नया विधानसभा अध्यक्ष को लेकर भी अटकलों का दौर शुरु हो गया है। संभावना यही नजर आ रही है नया विधानसभा अध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा, रविन्द्र चौबे एवं मोहम्मद अकबर में से कोई एक होगा।
हर राजनीतिक पार्टी मुख्यमंत्री के बाद विधानसभा अध्यक्ष को ही सबसे बड़ा जिम्मेदारी का पद मानती है। छत्तीसगढ़ राज्य के छोटे से 18 साल के इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो विधानसभा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी ऐसे व्यक्ति को ही दी जाती रही जो कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ संसदीय ज्ञान में निपुण हो। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल (कांग्रेस), प्रेमप्रकाश पांडे (भाजपा), धरमलाल कौशिक (भाजपा) एवं गौरीशंकर अग्रवाल (भाजपा) इसका उदाहरण हैं। उपरोक्त दोनों मापदंड में इस समय तीन नेता सत्यनारायण शर्मा, रविन्द्र चौबे एवं मोहम्मद अकबर ही सबसे ज्यादा खरे उतरते नजर आ रहे हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय दिग्विजय सिंह के शासनकाल में सत्यनारायण शर्मा तथा अजीत जोगी के शासनकाल में रविन्द्र चौबे संसदीय कार्य मंत्री रह चुके हैं। किसी भी संसदीय कार्य मंत्री की विधानसभा के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। रविन्द्र चौबे तो छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। वहीं मोहम्मद अकबर जब भी विधायक रहे विधानसभा में तथ्यों एवं तर्कों के साथ मजबूती से बात रखते नजर आते थे। टू द प्वाइंट वाले नेता के रूप में उनकी अपनी अलग पहचान रही है। यही कारण है कि वे विधानसभा अध्यक्ष जैसे गरिमामय पद पर बैठने की काबिलियत रखते हैं। माना जा रहा है दिल्ली से नये मुख्यमंत्री का नाम सामने आ जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष का नाम तय होने में देर नहीं लगेगी।

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रायपुर ग्रामीणः शर्मा, नंदे व डॉ. देवांगन में कोई किसी से कम नहीं https://cgtehelka.in/2018/11/18/%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%aa%e0%a5%81%e0%a4%b0-%e0%a4%97%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a5%80%e0%a4%a3%e0%a4%83-%e0%a4%b6%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%a8%e0%a4%82/ Sun, 18 Nov 2018 12:01:35 +0000 https://chhattisgarhtimes.in/?p=3365 अनिरुद्ध दुबे
रायपुर। रायपुर की चार सीटों में से सबसे ज्यादा पेचीदा सीट रायपुर ग्रामीण मानी जाती है। इसकी संरचना कुछ ऐसी है कि रायपुर शहर का आउटर वाला इलाका इसमें आता है। रायपुर एवं बिरगांव दोनों नगर निगमों का पार्ट रायपुर ग्रामीण सीट का हिस्सा है। तीन ग्राम पंचायतें भी रायपुर ग्रामीण सीट में आती हैं। ग्रामीण सीट से तीन प्रमुख नाम सत्यनारायण शर्मा (कांग्रेस), नंद कुमार साहू उर्फ नंदे साहू (भाजपा) एवं डॉ. ओमप्रकाश देवांगन (छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस) चर्चा में हैं और तीनों अपने आप में कम नहीं। कांग्रेस प्रत्याशी सत्यनारायण शर्मा जहां अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से विधायक बनते आ रहे हैं, वहीं भाजपा प्रत्याशी नंदे साहू का चुनाव लड़ने का यह तीसरा मौका है। वे एक बार जीते व एक बार हारे हैं। इस बार के चुनाव में रायपुर ग्रामीण से मोतीलाल साहू का भाजपा टिकट पर दावा काफी सशक्त माना जा रहा था। भाजपा से अंदर की खबर यही मिलती रही है कि छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री राजेश मूणत के दबाव के कारण नंदे को टिकट मिली। मोतीलाल साहू को पाटन क्षेत्र से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के खिलाफ उतारा गया है। बिरगांव नगर निगम के बनने से पहले नगर पालिका थी। डॉ. ओमप्रकाश देवांगन दो बार बिरगांव पालिका के अध्यक्ष रह चुके हैं। देवांगन किसी समय में सत्यनारायण शर्मा के खाटी समर्थक माने जाते थे। बाद में दोनों के रास्ते अलग हो गए। सत्यनारायण शर्मा का पहले चुनाव लड़ने का क्षेत्र मंदिर हसौद होता था। परिसीमन में मंदिर हसौद सीट के विलोपित हो जाने के बाद शर्मा ने रायपुर ग्रामीण से लड़ना शुरु किया। 2008 में शर्मा रायपुर ग्रामीण सीट से नंदे साहू से 2 हजार 979 मतों से हारे थे। 2013 में उन्होंने नंदे साहू को 1 हजार 861 मतों से हराया। इस तरह दोनों नेता तीसरी बार चुनावी मैदान में दो-दो हाथ करने तैयार हैं। रायपुर ग्रामीण क्षेत्र में पिछड़े वर्ग का वोट बहुत बड़ा फैक्टर है। नंदे साहू एवं ओमप्रकाश देवांगन दोनों पिछड़ा वर्ग से हैं। माना जा रहा है पिछड़ा वर्ग के ज्यादातर वोट इन दोनों नेताओं के बीच बंट जाएंगे। चूंकि छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस एवं बहुजन समाज पार्टी का इस चुनाव में गठबंधन है, अतः अजीत जोगी व बसपा के प्रभाव वाले सतनामी समाज के ज्यादातर वोट डॉ. देवांगन के खाते में जा सकते हैं। वहीं मोवा-सड्ढू से लेकर माना एवं लालपुर की तरफ का जो पेच है वह सत्यनारायण शर्मा के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है। शर्मा समर्थकों का मानना है कि यह त्रिकोणीय लड़ाई कांग्रेस के हित में है। साहू व देवांगन के बीच वोटों का विभाजन कांग्रेस को ही फायदा पहुंचाएगा। सत्यनारायण शर्मा इस वादे के साथ चुनावी मैदान में हैं कि हमें मौका मिला तो बिरगांव में सौ बिस्तरों वाला अस्पताल बनवाएंगे। माना में कॉलेज खुलवाएंगे। सड़क, बिजली एवं पानी की सुविधाएं और ज्यादा बढ़ाना उनके एजेंडे में है। नंद कुमार साहू कहते हैं पिछले 5 साल यहां कांग्रेस के विधायक थे तब विकास जैसा तो कुछ दिखा नहीं। रायपुर ग्रामीण के बड़े हिस्से में सड़क, स्ट्रीट लाइट व पेयजल पहली जरूरत है। विधायक बना तो इसे पहले पूरा करूंगा। डॉ. ओमप्रकाश देवांगन का कहना है- दो बार नगर पालिका अध्यक्ष रह चुका, अतः जनप्रतिनिधि होने के नाते जानता हूं कि जनता चाहती क्या है। बिरगांव ही नहीं पूरे ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में जो भी बुनियादी जरूरतें होंगी, विधायक बना तो पहले उन्हें पूरा करूंगा। कुल मिलाकर रायपुर ग्रामीण में शर्मा, साहू व देवांगन के बीच त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति है।
सत्यनारायण शर्मा
खास बातें
1. ना सिर्फ विधायक बल्कि मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों के मंत्री रह चुके
2. बढ़ती उम्र में भी काफी ऊर्जावान
3. मृदुभाषी
कमियां
1. समर्थकों का मानना है मंदिर हसौद के विलोपित होने के बाद शर्मा रायपुर उत्तर सीट को साधे होते तो राजनीतिक संघर्ष कम रहता
2. विपरीत परिस्थितियों का ध्यान नहीं रखते हुए 2014 में रायपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़े और हार का सामना करना पड़ा
3. राज्यसभा सदस्य श्रीमती छाया वर्मा जैसे कुछ पुराने सदस्यों का अलग हो जाना
नंद कुमार साहू
खास बातें
1. पार्टी में जमीनी स्तर पर पकड़ अच्छी
2. साहू समाज का वोट बैंक
3. सहज एवं सरल व्यवहार
कमियां
1. पिछला चुनाव हारने के बाद रायपुर ग्रामीण क्षेत्र में सम्पर्क कम रहा
2. रायपुर ग्रामीण में भाजपा के कम स्टार प्रचारकों का पहुंचना
3. रायपुर की अन्य 3 सीटों की तुलना में ग्रामीण में भाजपा की आक्रामकता कम नजर आना
डॉ. ओमप्रकाश देवांगन
खास बातें
1. कांग्रेस एवं भाजपा प्रत्याशियों की तुलना में युवा चेहरा
2. दो बार नगर पालिका अध्यक्ष का अनुभव
3. बड़ा दांव खेलने और जोखिम उठाने में माहिर
कमियां
1. कांग्रेस छोड़ने के बाद कई समर्थक टूट गए
2. अपने ही राजनीतिक गुरु सत्यनारायण शर्मा के खिलाफ लड़ने से सवालिया निशान
3. राजनीति में बड़ी भूमिका रहने के बाद भी लक्ष्य का कभी स्पष्ट ना होना
रायपुर ग्रामीण क्षेत्र
के अन्य प्रत्याशी
बनमाली छुरा भारतीय बहुजन कांग्रेस, बलदेव प्रसाद व्दिवेदी छत्तीसगढ़ विकास पार्टी, मंगलचंद धृतलहरे रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए), लखमूराम टंडन राष्ट्रीय जनसभा पार्टी, डॉ. संकेत ठाकुर आम आदमी पार्टी, शमीम खान भारतीय लोकमत राष्ट्रवादी पार्टी, मोहम्मद उस्मान शेख निर्दलीय, मोहम्मद औरंगजेब निर्दलीय, कृष्णमुरारी यादव निर्दलीय, गेंदलाल डडसेना निर्दलीय, चंद्रकांत भाई सोलंकी निर्दलीय, नरेन्द्र कुमार बघेल निर्दलीय, पीतांबर जांगड़े निर्दलीय, फुलराज वर्मा निर्दलीय, बुधारूराम बंजारे निर्दलीय, मोतीराम वर्मा निर्दलीय, राजेन्द्र कुमार साहू निर्दलीय सत्यनारायण सोनवानी निर्दलीय एवं संदीप यदु निर्दलीय
मतदाताओं की स्थिति
पुरुष- 148731
महिला-132387
अन्य- 54
कुल मतदाता- 281172

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