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बेटी के दुष्कर्म से जन्मे बच्चे को अपनाने के लिए तैयार नहीं थे माता-पिता… 100 रुपए के स्टाम्प पर बेच दिया

सागर- केंट थाना क्षेत्र में दुष्कर्म पीड़िता की डिलीवरी के बाद हुए नवजात को नाबालिग के माता-पिता ने दूसरे को दे दिया। इसके पहले कि वह नवजात को अपने साथ ले जाते, पुलिस ने प्रसूता और बच्चे को अपनी कस्टडी में ले लिया और उसे बालिका गृह में भेज दिया है। नाबालिग के माता-पिता ने एक शपथ पत्र लिखवाकर असंवैधानिक तरीके से गोदनामा तैयार करवा लिया। इस मामले में बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एसपी को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

अस्पताल में प्रसव के बाद ही नाबालिग के स्वजन बच्चे को रखने के लिए तैयार नहीं थे। हॉस्पिटल में पुलिस की उपस्थिति में ही नाबालिग के स्वजन बच्चे को किसी दूसरे को देने की बात कहने लगे थे।

इसी पर बाल कल्याण समिति के सदस्यों को संदेह होने के बाद मां और बच्चे पर नजर बनाए हुए थे। इसके बाद पुलिस को पीड़िता के स्वजन द्वारा बच्चे को गोद देने की सूचना मिली, जिसके बाद वह सक्रिय हुई।

बच्चे को गैर-कानूनी तौर पर बेचने की आशंका


मामले में नाबालिग की माता द्वारा बच्चे को बेचने का भी संदेह जताया जा रहा है। दो दिन पहले केंट थाना को भी सूचना मिली कि नवजात को फर्जी व अवैधानिक प्रक्रिया के तहत दूसरे को सौंपा जा रहा है।
इसके बाद पुलिस ने बाल कल्याण समिति को सूचना दी और उनकी उपस्थिति में नाबालिग के घर जाकर उसे और नवजात को अपनी अभिरक्षा में लेकर उसे बालिका गृह में रखवा दिया।
मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष रविंद्र मोरे ने सागर एसपी विकास शाहवाल को पत्र लिखकर नाबालिग से जन्मे नवजात शिशु को दूसरे को गोद देने के मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
26 नवंबर को हुई थी डिलीवरी
26 नवंबर की रात कोतवाली थाना क्षेत्र की निजी हॉस्पिटल में 17 साल की नाबालिग गर्भवती का प्रसव कराने का मामला सामने आने के बाद दूसरे दिन जिला बाल कल्याण समिति द्वारा हॉस्पिटल में जाकर प्रसूता और उसके नवजात बच्चे की तलाश कर पुलिस को पूरा मामला सौंपा गया था।

इसी दिन प्रसूता और उसके नवजात को डफरिन शिफ्ट कर नाबालिग के बयान के आधार पर केंट पुलिस ने सदर निवासी युवक पर दुष्कर्म का मामला कायम किया और उसे गिरफ्तार कर लिया था। वहीं डफरिन में भर्ती प्रसूता नवजात को वहां से डिस्चार्ज कर दिया गया। जहां से प्रसूता और नवजात को उसके माता-पिता अपने घर लेकर आ गए।

बच्चा गोद लेने की यह प्रक्रिया

भारत में बच्चा गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया हिंदू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम 1956 और किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत पूरी की जाती है।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन केंद्रीय दत्तक-ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (अडाप्शन रिसोर्स अर्थारिटी) इस प्रक्रिया की देखरेख करता है। लेकिन इस प्रक्रिया को दरकिनार कर असंवैधानिक रूप से नोटरी सहित दोनों पक्षों ने महज सौ रुपये के स्टांप पर इस प्रक्रिया को चंद घंटों में पूरा कर लिया।

छह दिसंबर को जिला न्यायालय के एक नोटरी द्वारा सौ रुपये के स्टांप पर एक गोदनामा तैयार किया गया है। इसमें नाबालिग की मां, नाबालिग लड़की और बच्चे को गोद लेने संबंधी लिखा-पढ़ी की गई है। बच्ची को गोद लेने वाले दंपती को बच्ची का संरक्षण और अपनी संपत्ति में पूरा हक देने की घोषणा की गई है।

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